Friday, 8 June 2018

मेरे देश को ना जाने हुआ क्या ?

अन्नदाता खाने को हो रहा परेशान, दलितों पर पड़ रही अत्याचारों की मार, लाडो हुई लाचार मेरे देश को ना जाने हुआ क्या ? पानी को तरस रहा इंसान महंगाई और भूख की पड़ रही है मार मेरे देश को ना जाने हुआ क्या ? आज देश का हाल देख दिल से निकली आवाज भाई भाई की जान लेने को तैयार, जातीवाद से देश में लग रही है आग मेरे देश को ना जाने हुआ क्या ?

आज जब मैं अपने देश का हाल बदहाल होते देख रहा हूं तो दिल में एक दर्द उमड़ रहा है, मेरी आत्मा रो रही है मेरा दिल जल रहा है लगता है कि अब मेरा वो पुराना भारत नहीं रहा, मेरा वो देश अब नहीं रहा जहां भाई भाई में प्यार हुआ करता था जहां हिंदू के त्योहार में और मुसलमानों की ईद में बिना भेदभाव के भाई से भाई गले मिला करता था। मेरा वो भारत ना जाने कहां खो गया ? जहां किसानों की लहलहाती फसले देश का गौरव कहलाती थी।

Wednesday, 11 April 2018

मेरा देश बदल रहा है

आज मेरा पुराना भारत ना जाने कहां खो गया, जहां हर वर्ग भाई भाई की तरह रहता था। आज जब मैं खबरें पढ़ता हूं तो लगता है कि मेरा देश सच में बदल रहा हैं, मेरा देश बदल रहा है यह शब्द में इस लिए लिख रहा हूं क्योंकि आज भाई भाई को मारने पर उतारू है।

मेरा भारत गरीबी से जूझ रहा है मेरा भारत बदल रहा है मेरे भारत के हाथ आज खून से रंग रहे है, हर तरफ आग जल रही है हर तरफ खून बिखरा हुआ है। पढ़ने लिखने के बाद भी युवा बेरोजगार है और ना पढ़ने वाले पैसा देकर नौकरी ले रहे है मेरा देश बदल रहा है।

बेटियां घर से निकलती है तो उनके घर पर सही सलामत पहुंचने की कोई पक्की गारंटी नहीं होती, देश का किसान फसल उगा कर भी मारा मारा फिरता है, फसल उगती तो है लेकिन फसलों का सहीं दाम नहीं मिलता, आज वो समय याद आ रहा है जब देश में गरीबी के बाद भी हर वर्ग खुश रहता था, आज सहीं में मेरा देश बदल रहा है।

महान कहलाया जाने वाला मेरा भारत आज बर्बाद हो रहा है जहां तक नजर जाती है वहां जातिवाद फैला है। भाई भाई को मारने को उतारू है, देश को चलाने वाले देश को जला रहे है सही में मेरा देश बदल रहा है।