अन्नदाता
खाने को हो रहा परेशान, दलितों पर पड़ रही अत्याचारों की मार, लाडो हुई लाचार मेरे
देश को ना जाने हुआ क्या
? पानी को तरस
रहा इंसान महंगाई और भूख की पड़ रही है मार मेरे देश को ना जाने हुआ क्या ? आज देश का हाल देख दिल से निकली आवाज
भाई भाई की जान लेने को तैयार, जातीवाद से देश में लग रही है आग मेरे देश को ना
जाने हुआ क्या ?
आज
जब मैं अपने देश का हाल बदहाल होते देख रहा हूं तो दिल में एक दर्द उमड़ रहा है,
मेरी आत्मा रो रही है मेरा दिल जल रहा है लगता है कि अब मेरा वो पुराना भारत नहीं
रहा, मेरा वो देश अब नहीं रहा जहां भाई भाई में प्यार हुआ करता था जहां हिंदू के
त्योहार में और मुसलमानों की ईद में बिना भेदभाव के भाई से भाई
गले मिला करता था। मेरा वो भारत ना जाने कहां खो गया ? जहां किसानों की लहलहाती फसले देश का
गौरव कहलाती थी।